महाकुम्भ हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों पर आयोजित होता है: प्रयागराज (इलाहाबाद), हरिद्वार, उज्जैन और नासिक। इसे “कुम्भ मेला” भी कहा जाता है और यह दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है। महाकुम्भ का आयोजन ग्रहों और नक्षत्रों की विशेष स्थिति के अनुसार होता है।
### महाकुम्भ का महत्व:
1. **पौराणिक कथा**: हिंदू मान्यताओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान अमृत कलश से अमृत की कुछ बूंदें इन चार स्थानों पर गिरी थीं। इसलिए, इन स्थानों को पवित्र माना जाता है।
2. **आध्यात्मिक शुद्धि**: मान्यता है कि महाकुम्भ के दौरान पवित्र नदी में स्नान करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
3. **ज्योतिषीय संयोग**: महाकुम्भ का आयोजन तब होता है जब बृहस्पति (गुरु) और सूर्य विशेष राशियों में होते हैं। यह संयोग हर 12 साल में बनता है।
### महाकुम्भ के प्रकार:
1. **कुम्भ मेला**: हर 12 साल में।
2. **अर्धकुम्भ मेला**: हर 6 साल में (प्रयागराज और हरिद्वार में)।
3. **महाकुम्भ**: हर 144 साल में (12 कुम्भ मेलों के बाद)।
महाकुम्भ में लाखों-करोड़ों श्रद्धालु, साधु-संत और तीर्थयात्री पवित्र नदी में स्नान करने और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिए एकत्रित होते हैं। यह त्योहार हिंदू धर्म की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का प्रतीक है।